This blog is for educational purpose for those who are preparing for jssc/jpsc and for those who want to know about Jharkhand. All the information given here are searched by different books and are beneficial for exam and knowledge as concern to Jharkhand.
झारखण्ड में अंग्रेजों का प्रवेश झारखण्ड में अंग्रेजों का आगमन सर्वप्रथम सिंहभूम क्षेत्र में हुआ। अंग्रेजों के सिंहभूम प्रवेश के समय यहाँ के प्रमुख राज्य धाल राजाओं के धालभूम, सिंह राजाओं के पोरहाट, हो लोगों के कोल्हान थें। फर्गुसन को सिंहभूम पर आक्रमण करने का काम 1767 ई. में सौंप गया। घाटशिला के महल पर अंग्रेजों का कब्जा 22 मार्च, 1767ई. को हुआ। धालभूम के राजा को फर्गुसन के सेना द्वारा पराजित करने के बाद जगन्नाथ ढाल को धालभूम का राजा बनाया गया। 1820 ई. में मेजर रफसेज के कोल्हान क्षेत्र में प्रवेश के बाद रोरो नदी के तट पर हो जनजाति एंव अंग्रेजी सेना में लड़ाई हुई, जिसमें अंग्रेज विजयी हुए। 1837 ई. में हो लोंगो ने आत्म-समर्पण किया और सीधे कम्पनी को कर देने के लिए तैयार हुए। 1837 ई. में कोल्हान क्षेत्र को एक नई प्रशासकीय इकाई बनाकर एक अंग्रेज अधिकारी के अधीन कर दिया गया। ईस्ट इंडिया कम्पनी को दीवानी प्राप्त होने के 72 वर्षों के बाद कोल्हान क्षेत्र पर अंग्रेेेजो का आधिपत्य स्थपित हो सका। पलामू पर अंग्रेजी आधिपत्य वर्ष 1771-72 में स्थापित हुआ। वर्ष 1770 ई. में ...
झारखण्ड के प्राचीन राजवंश सिंह राजवंश : काशीनाथ सिंह सिंहभूम के सिंह वंश की पहली शाखा के संस्थापक थे | दर्प नारायण सिंह सिंहभूम के सिंह वंश की दूसरी शाखा के संस्थापक थे | सिंहभूम को पोरहाट के सिंह राजाओ की भूमि कहा गया है | मान राजवंश : मानभूम के मान राजवंश का राज्य हजारीबाग एवं मानभूम में विस्तृत था | गोविंदपुर ( धनबाद ) में कवि गंगाधर द्वरा रचित प्रस्तर शिलालेख में मानभूम में मान राजवंश का उल्लेख है | हजरिभाग के दुधापनी नामक स्थान से प्राप्त गुप्त शिलालेख में मानभूम के मान राजवंश का उल्लेख है | रामगढ राज्य : रामगढ राज्य की स्थापना 1368 ई. में बगदेव सिंह द्वारा की गई थी | रामगढ राज्य के राजा हेमन्त सिंह ने अपनी राजधानी उर्दा से हटाकर बादम में स्थापित की | रामगढ राज्य के राजा दलेल सिंह ने अपनी राजधानी बादम से हटाकर रामगढ कर दी | रामगढ राज्य तेज सिंह ने अपनी शासन का संचालन इचाक से किया | कामाख्या नारायण सिंह रामगढ की गद्दी पर 1937 ई. में बैठा | रामगढ के राजा की मूल राजधानी रामगढ थी | सिसिया - उर्दा , बादम , रामगढ , इचाक तथा पदमा रामगढ राज्य की राजधानी का सही क्रम है | अ...
Freedom fighters from Jharkhand झारखंड के स्वतंत्रता सेनानी Freedom fighters of jharkhand भारत के पहले स्वतंत्रता (1857) के युद्ध से लगभग 100 साल पहले झारखंड के आदिवासियों ने ब्रिटिश औपनिवेशि शासन और साम्राज्यवादी शोषण नीतियों के खिलाफ विद्रोह की घोषणा की थी । जमींदारों के खिलाफ देश में पहली बार विद्रोह 1771 में आदिवासी बेल्ट से एक बहादुर संथाल नेता तिलका मांझी के नेतृत्व में किया गया था । तिलका मांझी : तिलका मांझी विद्रोह झारखंड के मूल निवासियों की भूमि के अधिग्रहण की ब्रिटिश नीति के खिलाफ था, स्थानीय निवासियों को सुरक्षा प्रदान करके divide and rule नीति के खिलाफ था और क्लीवलैंड की दमन नीति में शामिल था । संथाल क्षेत्र में लगभग 1771 सूखे से बुरी तरह प्रभावित हुए और लोग भूख के कारण मर रहे थे। भोजन की भूख और कमी से क्षेत्र में धरना और अन्य असामाजिक गतिविधियां हो रही हैं । सरकार ने सुरक्षा और राहत मुहैया कराने के बजाय संथाल को फ्लॉन्ट करना और दबाना शुरू कर दिया। तिलका सरकार के खिलाफ जोरदार बगावत कर सामने आए। उन्होंने...
Comments
Post a Comment
hope you are satisfied with the information. thank you