झारखण्ड के प्राचीन राजवंश (part - 2) | Ancient Dynasties of Jharkhand

झारखण्ड के प्राचीन राजवंश 

सिंह राजवंश :

  • काशीनाथ सिंह सिंहभूम के सिंह वंश की पहली शाखा के संस्थापक थे |

  • दर्प नारायण सिंह सिंहभूम के सिंह वंश की दूसरी शाखा के संस्थापक थे |

  • सिंहभूम को पोरहाट के सिंह राजाओ की भूमि कहा गया है |

मान राजवंश :

  • मानभूम के मान राजवंश का राज्य हजारीबाग एवं मानभूम में विस्तृत था |

  • गोविंदपुर ( धनबाद ) में कवि गंगाधर द्वरा रचित प्रस्तर शिलालेख में मानभूम में मान राजवंश का उल्लेख है |

  • हजरिभाग के दुधापनी नामक स्थान से प्राप्त गुप्त शिलालेख में मानभूम के मान राजवंश का उल्लेख है |

रामगढ राज्य :

  • रामगढ राज्य की स्थापना 1368 ई. में बगदेव सिंह द्वारा की गई थी |

  • रामगढ राज्य के राजा हेमन्त सिंह ने अपनी राजधानी उर्दा से हटाकर बादम में स्थापित की |

  • रामगढ राज्य के राजा दलेल सिंह ने अपनी राजधानी बादम से हटाकर रामगढ कर दी |

  • रामगढ राज्य तेज सिंह ने अपनी शासन का संचालन इचाक से किया |

  • कामाख्या नारायण सिंह रामगढ की गद्दी पर 1937 ई. में बैठा |

  • रामगढ के राजा की मूल राजधानी रामगढ थी |

  • सिसिया - उर्दा , बादम , रामगढ , इचाक तथा पदमा रामगढ राज्य की राजधानी का सही क्रम है |

अन्य राजवंश :

  • सिंहभूम के धालभूम क्षेत्र में धाल राजाओ का शासन था |

  • खडगदिहा राज्य की स्थापना हंसराज देव ने की थी |

  • हंसराज देव दक्षिण भारत के रहने वाले थे |

  • मानभूम  क्षेत्र का सर्वाधिक शक्तिशाली राज्य पंचेत था |

  • पंचेत राज्य के राजा ने कपिला गाय की पूंछ को राजचिन्ह के रूप में स्वीकार किया था |

  • पलामू रियासत की राजधानी पलामू गढ़ औरंगा नदी के तट पर थी |

  • कुंडे रियासत हजरिभाग जिले में अवस्थिति थी |

  • सोनपुर रियासत पलामू जिले में  अवस्थिति थी |

click here : झारखण्ड के प्राचीन राजवंश (part - 1)

click here : jharkhand introduction



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